अरस्तू (Aristotle)
यहां UGC NET Political Science परीक्षा के लिए अरस्तू (Aristotle) से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य प्रस्तुत किए गए हैं
अरस्तू का जीवन और कार्य
- अरस्तू का जन्म 384 ईसा पूर्व स्टेगीरा, मैसेडोनिया में हुआ और उनकी मृत्यु 322 ईसा पूर्व हुई।
- वे प्लेटो के शिष्य और अलेक्जेंडर महान के गुरु थे।
- उन्होंने "Lyceum" नामक विद्यालय की स्थापना की।
- अरस्तू को राजनीतिक विज्ञान का जनक कहा जाता है क्योंकि उन्होंने राजनीति को एक स्वतंत्र अनुशासन के रूप में स्थापित किया।
- उनकी प्रमुख रचनाएँ हैं:
- Politics – राज्य, संविधान और सरकार के स्वरूप की चर्चा।
- Nicomachean Ethics – नैतिकता और सद्गुण पर केंद्रित।
- Metaphysics – दर्शनशास्त्र के आधारभूत सिद्धांतों की व्याख्या।
राज्य (State) की अवधारणा
- अरस्तू ने कहा, "मनुष्य स्वभाव से ही एक राजनीतिक प्राणी (Political Animal) है।"
- उन्होंने राज्य को एक स्वाभाविक संस्था माना जो व्यक्ति के नैतिक और बौद्धिक विकास के लिए आवश्यक है।
- उनका मानना था कि राज्य व्यक्तिगत हितों के बजाय सामान्य हितों (Common Good) को बढ़ावा देने के लिए कार्य करता है।
- उन्होंने परिवार → गाँव → राज्य के विकास क्रम को प्रस्तुत किया।
संविधान (Constitution) और सरकार के रूप
- अरस्तू ने 158 संविधानों का अध्ययन करके सरकारों का वर्गीकरण किया।
- उन्होंने सरकार को सही (True) और विकृत (Perverted) रूपों में बांटा:
- सही सरकारें (जो लोकहित में कार्य करती हैं):
- राजतंत्र (Monarchy) – एक व्यक्ति द्वारा शासन।
- अरिस्टोक्रेसी (Aristocracy) – गुणी लोगों द्वारा शासन।
- पोलिटी (Polity) – जनता और धनिकों का मिश्रित शासन।
- विकृत सरकारें (जो शासकों के स्वार्थ के लिए कार्य करती हैं):
- तानाशाही (Tyranny) – निरंकुश राजा का शासन।
- ओलिगार्की (Oligarchy) – धनिकों का शासन।
- लोकतंत्र (Democracy) – भीड़तंत्र, जहां भावनाओं के आधार पर शासन होता है।
- सही सरकारें (जो लोकहित में कार्य करती हैं):
- उन्होंने कहा कि "पोलिटी (Polity) सबसे अच्छी शासन प्रणाली है" क्योंकि यह लोकहित और स्थिरता बनाए रखती है
न्याय (Justice) की अवधारणा
- अरस्तू ने न्याय को दो भागों में बांटा:
- वितरणात्मक न्याय (Distributive Justice) – सामाजिक संसाधनों का विभाजन योग्यता के आधार पर होना चाहिए।
- सुधारात्मक न्याय (Corrective Justice) – अदालतों द्वारा अनुचित लाभ या नुकसान को संतुलित किया जाना चाहिए
- उन्होंने कहा, "समान लोगों के साथ समान व्यवहार और असमान लोगों के साथ असमान व्यवहार करना ही न्याय है।"
मध्य मार्ग (Doctrine of the Mean)
- अरस्तू का "स्वर्ण मध्य मार्ग" (Golden Mean) का सिद्धांत बताता है कि चरम सीमाओं से बचना चाहिए और संतुलन बनाए रखना चाहिए।
- उदाहरण:
- साहस (Courage) – कायरता और उतावलापन के बीच संतुलन।
- मितव्ययिता (Moderation) – संयम और विलासिता के बीच संतुलन।
लोकतंत्र (Democracy) पर विचार
- वे लोकतंत्र के आलोचक थे, लेकिन उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि जनता की सामूहिक बुद्धिमत्ता (Collective Wisdom) व्यक्तिगत बुद्धिमत्ता से श्रेष्ठ हो सकती है।
- उन्होंने मध्यम वर्ग (Middle Class) के शासन को सबसे स्थिर और टिकाऊ माना
- उन्होंने लोकतंत्र की एक समस्या बताई – भीड़तंत्र (Mob Rule), जहां निर्णय भावनाओं के आधार पर लिए जाते हैं।
राज्य और व्यक्ति का संबंध
- अरस्तू ने कहा कि "राज्य व्यक्ति से पहले आता है" क्योंकि यह व्यक्ति के नैतिक विकास में सहायता करता है।
- उन्होंने राज्य को एक नैतिक संस्था (Moral Institution) माना, जिसका उद्देश्य अच्छे जीवन (Good Life) को बढ़ावा देना है।
संपत्ति और अर्थशास्त्र पर विचार
- उन्होंने व्यक्तिगत संपत्ति के पक्ष में तर्क दिया और संपत्ति का सामूहीकरण (Common Ownership) खतरनाक माना।
- उन्होंने व्यापार और धन संचय को अत्यधिक बढ़ावा देने की आलोचना की क्योंकि इससे नैतिक पतन हो सकता है।
कानून और संविधानवाद (Rule of Law & Constitutionalism)
- अरस्तू ने कहा "कानून का शासन (Rule of Law) व्यक्ति के शासन से बेहतर है।"
- उन्होंने संविधान को दो पहलुओं में विभाजित किया:
- नैतिक (Ethical) – समाज के उद्देश्यों को निर्धारित करना।
- संस्थागत (Institutional) – सरकार की संरचना और शक्तियों का निर्धारण
- उनके अनुसार, "अच्छा नागरिक और अच्छा व्यक्ति अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन एक आदर्श राज्य में वे एक ही होंगे।"
अरस्तू की आलोचना
- प्लेटो ने उनके व्यवहारवादी (Empirical) दृष्टिकोण की आलोचना की, क्योंकि अरस्तू ने आदर्श राज्य की जगह यथार्थवादी राज्य की चर्चा की।
- कार्ल पॉपर ने अरस्तू की न्याय की अवधारणा की आलोचना करते हुए कहा कि यह असमानता को वैध बनाती है।
- उन्होंने महिलाओं और दासों को हीन माना, जिससे आधुनिक विद्वान उनकी आलोचना करते हैं।
निष्कर्ष
- अरस्तू ने राजनीतिक विज्ञान को एक स्वतंत्र अनुशासन के रूप में स्थापित किया।
- उनका दृष्टिकोण व्यवहारवादी (Empirical) था, जबकि प्लेटो का दृष्टिकोण आदर्शवादी (Idealist) था।
- उनकी संविधान की वर्गीकरण प्रणाली आधुनिक राजनीतिक सिद्धांतों की नींव रखती है।
- उनकी शिक्षाएं संविधानवाद (Constitutionalism), न्याय (Justice), और मिश्रित शासन प्रणाली (Mixed Government) में आज भी प्रासंगिक हैं।
UGC NET परीक्षा के लिए यह अरस्तू के महत्वपूर्ण तथ्यों की विस्तृत सूची है, जो उनके राजनीतिक विचारों के सभी प्रमुख पहलुओं को कवर करती है। ✅
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