जॉन स्टुअर्ट मिल (John Stuart Mill)
यहां UGC NET Political Science परीक्षा के लिए जॉन स्टुअर्ट मिल (John Stuart Mill) से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य दिए गए हैं
क्या लोकतंत्र में व्यक्तिगत स्वतंत्रता (Individual Liberty) की सीमाएँ होनी चाहिए? 🤔क्या बहुसंख्यक का शासन अल्पसंख्यकों की स्वतंत्रता को कुचल सकता है?
आज हम चर्चा करेंगे आधुनिक उदारवाद के प्रवर्तक – जॉन स्टुअर्ट मिल (John Stuart Mill) और उनके राजनीतिक विचारों की।
मिल ने स्वतंत्रता (Liberty), लोकतंत्र (Democracy), उपयोगितावाद (Utilitarianism), स्त्री समानता (Women's Rights) और प्रतिनिधिक शासन (Representative Government) जैसी अवधारणाओं पर गहन विश्लेषण किया।
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जॉन स्टुअर्ट मिल का जीवन और कार्य
- जॉन स्टुअर्ट मिल का जन्म 20 मई 1806 को इंग्लैंड में हुआ था।
- उनके पिता जेम्स मिल (James Mill) स्वयं एक प्रसिद्ध दार्शनिक थे और उन्होंने मिल को कठोर बौद्धिक प्रशिक्षण दिया।
- वे जेरेमी बेंथम (Jeremy Bentham) के उपयोगितावाद (Utilitarianism) से प्रभावित थे लेकिन उन्होंने इस सिद्धांत में कई सुधार किए।
- मृत्यु – 8 मई 1873, फ्रांस।
- उनकी प्रमुख रचनाएँ:
- System of Logic (1843) – विज्ञान और राजनीति के तर्कशास्त्र की व्याख्या।
- Principles of Political Economy (1848) – अर्थशास्त्र पर विचार।
- On Liberty (1859) – स्वतंत्रता की परिभाषा और इसकी सीमाएं।
- Considerations on Representative Government (1861) – प्रतिनिधिक सरकार पर चर्चा।
- Utilitarianism (1863) – उपयोगितावाद का पुनरावलोकन।
- The Subjection of Women (1869) – नारीवाद और लैंगिक समानता पर विचार।
मिल और उदारवाद (Liberalism)
- मिल को आधुनिक उदारवाद (Modern Liberalism) का प्रमुख प्रवक्ता माना जाता है।
- उन्होंने व्यक्तिगत स्वतंत्रता (Individual Liberty) को प्राथमिकता दी, लेकिन इसे समाज के नैतिक आदेश के साथ जोड़ा।
- वे राज्य की भूमिका को सक्रिय बनाने के पक्षधर थे – उन्होंने "नकारात्मक स्वतंत्रता" से "सकारात्मक स्वतंत्रता" की ओर परिवर्तन किया।
- मिल ने जनमत (Public Opinion) के अत्याचार से बचने के लिए व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा पर बल दिया।
उपयोगितावाद (Utilitarianism) की पुनर्व्याख्या
- मिल को 'पहला व्यक्तिवादी' और 'अंतिम उपयोगितावादी' कहा जाता है। पहला व्यक्तिवादी इसलिए कि उसने व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास का जोरदार समर्थन किया। अंतिम उपयोगितावादी इसलिए कि उसने अपने विचार का आरंभ तो उपयोगितावाद से किया परंतु उस उपयोगितावाद में संशोधन कर दिया।
- मिल ने जेरेमी बेंथम (Jeremy Bentham) के उपयोगितावाद की आलोचना की
- उन्होंने "सुख (Happiness) और आनंद (Pleasure)" के बीच भेद किया – बेंथम के विपरीत, मिल ने तर्क दिया कि बौद्धिक सुख शारीरिक सुख से श्रेष्ठ है।
- उनका प्रसिद्ध कथन – "एक असंतुष्ट सुकरात, संतुष्ट मूर्ख से बेहतर है"।
स्वतंत्रता (Liberty) पर विचार
- On Liberty (1859) में मिल ने स्वतंत्रता का सिद्धांत प्रतिपादित किया।
- उन्होंने व्यक्तिगत स्वायत्तता (Autonomy) को लोकतंत्र का मूल सिद्धांत बताया।
- "कोई भी व्यक्ति तभी तक स्वतंत्र है जब तक वह दूसरों को नुकसान नहीं पहुंचा रहा" – यह "नुकसान सिद्धांत" (Harm Principle) के रूप में प्रसिद्ध है।
- उन्होंने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (Freedom of Speech) का समर्थन किया और कहा कि सत्य की खोज के लिए सभी विचारों को प्रतिस्पर्धा में आना चाहिए।
प्रतिनिधिक लोकतंत्र और राजनीतिक विचार
- "Considerations on Representative Government" (1861) में उन्होंने लोकतंत्र का विश्लेषण किया।
- उन्होंने लोकतांत्रिक संस्थानों को नैतिक और बौद्धिक विकास का साधन बताया।
- वे सीमित लोकतंत्र (Limited Democracy) के समर्थक थे – उन्होंने शिक्षा और बौद्धिक क्षमता के आधार पर मताधिकार की वकालत की।
- उन्होंने बेंथम के एक व्यक्ति एक मत कि मानता को अस्वीकार कर दिया।
- उन्होंने बहुल मतदान का समर्थन किया जिसका अभिप्राय है शिक्षित और संपत्तिशाली व्यक्तियों को एक से अधिक मत प्राप्त होंगे।
- उन्होंने संख्यात्मक बहुमत (Numerical Majority) के अत्याचार से बचने के लिए अल्पसंख्यकों की रक्षा का समर्थन किया।
- गुप्त मतदान (Secret Ballot) के बजाय खुली वोटिंग (Open Ballot) का समर्थन किया ताकि लोग सार्वजनिक जिम्मेदारी महसूस करें
नारीवाद और लैंगिक समानता
- "The Subjection of Women" (1869) में उन्होंने महिलाओं के लिए समान अधिकारों की वकालत की।
- उन्होंने महिलाओं को मताधिकार (Suffrage) और शिक्षा का अधिकार देने की मांग की।
- उन्होंने कहा कि महिलाओं को पुरुषों के समान अवसर मिलने चाहिए और विवाह में भी समानता होनी चाहिए।
- वे पहले पुरुष विचारकों में से थे जिन्होंने लैंगिक समानता का सैद्धांतिक समर्थन किया।
अर्थव्यवस्था और सामाजिक न्याय
- मिल ने एडम स्मिथ (Adam Smith) के विचारों को आधुनिक संदर्भ में अद्यतन किया।
- "Principles of Political Economy" (1848) में उन्होंने आर्थिक न्याय और सामाजिक पुनर्वितरण (Redistribution) पर बल दिया।
- वे "न्यूनतम वेतन, कराधान द्वारा पुनर्वितरण और श्रमिक संघों (Trade Unions) के अधिकारों" के पक्षधर थे।
- उन्होंने निजी संपत्ति को स्वीकार किया, लेकिन इसे सीमित करने की वकालत की ताकि अधिकतम लोग लाभान्वित हो सकें।
मिल की आलोचना
- मार्क्सवादियों ने उनकी आर्थिक नीति को अधूरी बताया, क्योंकि उन्होंने उत्पादन के समाजीकरण (Socialization of Production) का समर्थन नहीं किया।
- रूढ़िवादियों ने उनकी स्वतंत्रता की परिभाषा को अव्यवहारिक बताया, क्योंकि यह सामाजिक अनुशासन को कमजोर कर सकती थी।
- उन्होंने खुद को "अनिच्छुक लोकतंत्रवादी" (Reluctant Democrat) कहा, क्योंकि उन्हें बहुमतवाद की चिंताएँ थीं।
निष्कर्ष
- जॉन स्टुअर्ट मिल को आधुनिक उदारवाद (Modern Liberalism), लोकतंत्र, और स्वतंत्रता के सिद्धांतों का प्रमुख विचारक माना जाता है।
- उनके विचारों ने महिला अधिकार आंदोलन, लोकतांत्रिक सुधारों, और सामाजिक न्याय नीतियों को प्रेरित किया।
- उन्होंने बेंथम के उपयोगितावाद को नैतिक और गुणात्मक आधार दिया और "नुकसान सिद्धांत" द्वारा स्वतंत्रता की व्याख्या की।
- उनका प्रभाव आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं, मानवाधिकार आंदोलनों और शिक्षा नीतियों पर आज भी देखा जा सकता है।
UGC NET परीक्षा के लिए यह जॉन स्टुअर्ट मिल के महत्वपूर्ण तथ्यों की विस्तृत सूची है, जो उनके राजनीतिक विचारों के सभी प्रमुख पहलुओं को कवर करती है। ✅
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