अंतरराष्ट्रीय संबंध: परिभाषा, स्वरूप और विषय क्षेत्र

अंतरराष्ट्रीय संबंधों की परिभाषा

अंतरराष्ट्रीय संबंध (International Relations) विभिन्न देशों, उनके नागरिकों और संगठनों के बीच होने वाले राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक संबंधों का अध्ययन करता है। यह राष्ट्रों के बीच सहयोग, संघर्ष और राजनयिक गतिविधियों को समझने का प्रयास करता है।

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प्रमुख परिभाषाएँ:

  • हंस जे. मारगेन्थाउ: "अंतरराष्ट्रीय राजनीति शक्ति के लिए संघर्ष है।"
  • हेरोल्ड स्प्राउट: "स्वतंत्र राज्यों के अपने-अपने उद्देश्यों एवं हितों के आपसी विरोध-प्रतिरोध या संबंध से उत्पन्न उनकी प्रतिक्रियाओं एवं संबंधों का अध्ययन अंतर्राष्ट्रीय राजनीति कहलाता है।"
  • नॉर्मन डी. पाल्मर व हावर्ड सी. परकिंस: "अंतर्राष्ट्रीय संबंध में राष्ट्र राज्यों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों तथा समूहों के परस्पर संबंधों के अतिरिक्त और बहुत कुछ सम्मिलित है। यह विभिन्न स्तर पर पाये जाने वाले अन्य संबंधों का भी समावेश करता है जो राष्ट्र राज्य के ऊपरी व निचले स्तर पर मिलते हैं। परन्तु यह राष्ट्र राज्य को ही अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का केन्द्र मानता है।"
  • स्टेनले हॉफमैन: "अंतर्राष्ट्रीय संबंध उन तत्वों एवं गतिविधियों से सम्बंधित है, जो उन मौलिक ईकाईयों जिनमें विश्व बंटा हुआ है, की बाह्य नीतियों एवं शक्ति को प्रभावित करता है।”

अंतरराष्ट्रीय संबंधों का स्वरूप (Nature)

  • परिवर्तनशील प्रवृत्ति: अंतरराष्ट्रीय राजनीति निरंतर परिवर्तनशील है और नए सिद्धांतों तथा विषयों को समायोजित कर रही है।
  • बहुआयामी दृष्टिकोण: अंतरराष्ट्रीय संबंधों का अध्ययन केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक आयामों से भी जुड़ा है।
  • राज्य-केंद्रित अध्ययन: राज्य अब भी अध्ययन का प्रमुख केंद्र है, लेकिन गैर-राज्यीय संगठनों की भूमिका भी बढ़ रही है।
  • नए दृष्टिकोणों का विकास: द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यथार्थवाद, व्यवहारवाद जैसे  सिद्धांत उभरे, जबकि उत्तर-शीतयुद्ध काल में उत्तर-आधुनिकतावाद और वैश्वीकरण जैसे दृष्टिकोण विकसित हुए।

अंतरराष्ट्रीय संबंधों का विषय क्षेत्र (Scope)

  • कूटनीति और विदेश नीति: राष्ट्रों के बीच संबंधों को बनाए रखने और राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए कूटनीति एक प्रमुख साधन है।
  • अंतरराष्ट्रीय संगठन और वैश्विक प्रशासन: संयुक्त राष्ट्र (UN), WTO, IMF, और यूरोपीय संघ (EU) जैसे संगठन वैश्विक शांति, व्यापार और मानवाधिकारों को प्रभावित करते हैं।
  • वैश्विक सुरक्षा और सैन्य रणनीति: सैन्य गठबंधन (जैसे NATO), आतंकवाद, साइबर सुरक्षा और परमाणु हथियार प्रसार इस क्षेत्र का प्रमुख हिस्सा हैं।
  • अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और व्यापार: वैश्वीकरण के कारण आर्थिक निर्भरता बढ़ी है, जिससे मुक्त व्यापार समझौते, आर्थिक प्रतिबंध, और बहुराष्ट्रीय कंपनियों की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई है।
  • मानवाधिकार और पर्यावरणीय राजनीति: जलवायु परिवर्तन, वैश्विक तापमान वृद्धि और मानवाधिकार उल्लंघन जैसे मुद्दे अंतरराष्ट्रीय संबंधों का अभिन्न हिस्सा हैं।
  • युद्ध और संघर्ष समाधान: विभिन्न देशों के बीच संघर्षों के समाधान के लिए मध्यस्थता और वार्ताएँ आवश्यक भूमिका निभाती हैं।
  • सांस्कृतिक और वैचारिक आदान-प्रदान: विभिन्न देशों के बीच सांस्कृतिक कूटनीति और विचारधाराओं का प्रसार अंतरराष्ट्रीय संबंधों को प्रभावित करता है।

अंतरराष्ट्रीय संबंधों का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

  • प्राचीन काल: मिस्र, मेसोपोटामिया और चीन जैसी सभ्यताओं के बीच व्यापारिक और कूटनीतिक संबंध विकसित हुए।
  • मध्यकाल: साम्राज्यों और राज्यों के बीच राजनयिक संबंधों और संघर्षों में वृद्धि हुई।
  • आधुनिक काल: 1648 की वेस्टफेलिया संधि ने आधुनिक राष्ट्र-राज्य प्रणाली की नींव रखी।
  • 20वीं सदी: प्रथम और द्वितीय विश्व युद्धों के बाद अंतरराष्ट्रीय संगठनों की स्थापना हुई।
  • शीत युद्ध: अमेरिका और सोवियत संघ के बीच वैचारिक संघर्ष और सैन्य प्रतिस्पर्धा ने वैश्विक राजनीति को प्रभावित किया।
  • समकालीन काल: वैश्वीकरण, जलवायु परिवर्तन, और आतंकवाद जैसे नए मुद्दे अंतरराष्ट्रीय संबंधों के अध्ययन को प्रभावित कर रहे हैं।

अंतरराष्ट्रीय संबंधों का अध्ययन क्यों महत्वपूर्ण है?

  • वैश्विक शांति और सुरक्षा: देशों के बीच सहयोग और संघर्ष को समझकर शांति स्थापित करने में मदद करता है।
  • आर्थिक विकास: अंतरराष्ट्रीय व्यापार और आर्थिक स्थिरता को बढ़ावा देता है।
  • राजनयिक कौशल: देशों के बीच संवाद और आपसी समझ को मजबूत करता है।
  • वैश्विक समस्याओं का समाधान: जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद, और मानवाधिकार उल्लंघन जैसी चुनौतियों से निपटने में सहायक होता है।
  • सांस्कृतिक समझ: विभिन्न संस्कृतियों और समाजों के बीच सहयोग को बढ़ावा देता है।

वर्तमान वैश्विक चुनौतियाँ जो अंतरराष्ट्रीय संबंधों को प्रभावित कर रही हैं

  • जलवायु परिवर्तन: बाढ़, सूखा और तापमान वृद्धि वैश्विक सहयोग की आवश्यकता को बढ़ा रहे हैं।
  • आर्थिक अस्थिरता: मुद्रास्फीति, बेरोजगारी और आर्थिक मंदी देशों के व्यापारिक संबंधों को प्रभावित कर रही है।
  • महामारी: COVID-19 जैसी महामारियाँ वैश्विक स्वास्थ्य प्रणाली और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए चुनौती हैं।
  • क्षेत्रीय संघर्ष: यूक्रेन-रूस युद्ध, मध्य पूर्व के संघर्ष और एशिया में बढ़ते तनाव अंतरराष्ट्रीय संबंधों को प्रभावित कर रहे हैं।
  • प्रवासन और शरणार्थी संकट: युद्ध, जलवायु परिवर्तन और आर्थिक अस्थिरता के कारण प्रवासन संकट गहरा रहा है।
  • साइबर सुरक्षा: साइबर हमलों और डेटा चोरी के बढ़ते खतरे अंतरराष्ट्रीय विश्वास को प्रभावित कर रहे हैं।

निष्कर्ष:
अंतरराष्ट्रीय संबंधों का अध्ययन वर्तमान वैश्विक व्यवस्था को समझने और भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए अत्यंत आवश्यक है। बदलते राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक संदर्भ में, यह क्षेत्र निरंतर विकसित हो रहा है और नए सिद्धांतों तथा दृष्टिकोणों को आत्मसात कर रहा है।

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