एंटोनियो ग्राम्शी (Antonio Gramsci)

 यहां UGC NET Political Science परीक्षा के लिए एंटोनियो ग्राम्शी (Antonio Gramsci) से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य दिए गए हैं, 

"प्रत्येक व्यक्ति एक बुद्धिजीवी है, लेकिन समाज में सभी को बुद्धिजीवी के रूप में कार्य करने का अवसर नहीं मिलता।"एंटोनियो ग्राम्शी

नमस्कार दोस्तों! 🙏 आज हम बात करेंगे  इटली के महान मार्क्सवादी विचारक एंटोनियो ग्राम्शी (Antonio Gramsci)  और उनके राजनीतिक विचारों की।

ग्राम्शी का योगदान विशेष रूप से हेजेमनी (Hegemony), नागरिक समाज (Civil Society), और विचारधारा (Ideology) से जुड़ा हुआ है।

ग्राम्शी का जीवन और कार्य

  • एंटोनियो ग्राम्शी का जन्म 1891 में इटली में हुआ था।
  • वे एक मार्क्सवादी विचारक, क्रांतिकारी और पत्रकार थे।
  • वे इतालवी कम्युनिस्ट पार्टी (Italian Communist Party) के सह-संस्थापक थे।
  • मुसोलिनी के फासीवादी शासन (Fascism) के दौरान, ग्राम्शी को जेल में डाल दिया गया।
  • जेल में रहते हुए उन्होंने "Prison Notebooks" (कैद की टिप्पणियाँ) लिखीं, जो उनके प्रमुख विचारों का आधार हैं। 
  • मृत्यु – 27 अप्रैल 1937, फासीवादी शासन के दौरान कैद में रहते हुए।
  • उनकी प्रमुख रचनाएँ:
  • Prison Notebooks (1925–1936) – कारावास के दौरान लिखे गए विचार।
  • The Modern Prince – राजनीति और सत्ता संरचनाओं का विश्लेषण।

वर्चस्व (Hegemony) का सिद्धांत

  • "हेजेमनी" (Hegemony), ग्राम्शी का सबसे प्रसिद्ध विचार है। पारंपरिक मार्क्सवाद मानता था कि राज्य बल (Force) और दमन (Repression) के ज़रिए शासन करता है। लेकिन ग्राम्शी ने कहा कि राज्य सिर्फ बल से नहीं, बल्कि विचारधारा (Ideology) और सहमति (Consent) से भी शासन करता है।
  • हेजेमनी का अर्थ है – विचारों के माध्यम से प्रभुत्व स्थापित करना।  उदाहरण के लिए – आज के दौर में मीडिया, शिक्षा प्रणाली और सांस्कृतिक संस्थान सत्ताधारी वर्ग की विचारधारा को बढ़ावा देते हैं।

  • सरल शब्दों में: सत्ता केवल बल (Force) से नहीं, बल्कि सहमति (Consent) से भी चलती है। सत्ता में बने रहने के लिए, विचारधारा और संस्कृति का नियंत्रण जरूरी है। जो वर्ग विचारधारा और ज्ञान को नियंत्रित करता है, वही शासन भी करता है।

  • उन्होंने कहा कि सच्चे क्रांतिकारी परिवर्तन के लिए बौद्धिक और सांस्कृतिक जागरूकता आवश्यक है


नागरिक समाज (Civil Society) और राज्य (State)

  • नागरिक समाज को उन्होंने राज्य के समान महत्वपूर्ण बताया, क्योंकि यह विचारों को आकार देता है और जनता को सत्ता की वैधता स्वीकारने के लिए प्रेरित करता है।
  • राज्य केवल दमनकारी संस्थानों (जैसे पुलिस, न्यायपालिका) के माध्यम से शासन नहीं करता, बल्कि नागरिक समाज की संस्थाओं (जैसे स्कूल, चर्च, मीडिया) का उपयोग करके वैधता प्राप्त करता है।
  • क्रांतिकारी परिवर्तन केवल सरकार को बदलने से संभव नहीं, बल्कि नागरिक समाज की विचारधारा को बदलने से संभव होगा

ग्राम्शी और मार्क्सवाद

  • ग्राम्शी "आर्थिक निर्धारणवाद" (Economic Determinism) के क्लासिक मार्क्सवादी दृष्टिकोण से सहमत नहीं थे
  • उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक और वैचारिक कारक भी वर्ग संघर्ष को प्रभावित करते हैं
  • उन्होंने "सांस्कृतिक नेतृत्व" (Cultural Leadership) की अवधारणा विकसित की, जिसमें विचारधारा और शिक्षा के माध्यम से सत्ता प्राप्त की जाती है।
  • ग्राम्शी का मानना था कि सिर्फ आर्थिक संरचनाओं में परिवर्तन से समाजवाद संभव नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और बौद्धिक स्तर पर भी संघर्ष आवश्यक है

ग्राम्शी और बुद्धिजीवी (Intellectuals) की भूमिका

ग्राम्शी ने बुद्धिजीवियों को दो भागों में बाँटा:  

  • पारंपरिक बुद्धिजीवी (Traditional Intellectuals): जो सत्ता-व्यवस्था को बनाए रखते हैं, जैसे – धार्मिक नेता, विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर, पुरानी विचारधाराओं के समर्थक। 
  • जैविक बुद्धिजीवी (Organic Intellectuals): जो समाज के उत्पीड़ित वर्ग से आते हैं और सामाजिक परिवर्तन की वकालत करते हैं। 
  • ग्राम्शी का सुझाव था कि मज़दूर वर्ग को अपने ‘जैविक बुद्धिजीवी’ तैयार करने चाहिए, ताकि वे अपनी आवाज़ बुलंद कर सकें।
  • उन्होंने कम्युनिस्ट पार्टी को "आधुनिक राजकुमार" (Modern Prince) बताया, जो नए प्रकार के राज्य को जन्म दे सकता है​

ग्राम्शी के विचारों की आधुनिक प्रासंगिकता

  • आज के मीडिया, शिक्षा प्रणाली और प्रचार माध्यमों में हमें हेजेमनी (Hegemony) का सिद्धांत स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।
  • राजनीतिक दल और सरकारें सिर्फ पुलिस या कानून से नहीं, बल्कि मीडिया, फिल्मों और शिक्षा के माध्यम से भी जनता को प्रभावित करती हैं।
  • ग्राम्शी का सिद्धांत हमें यह समझने में मदद करता है कि कैसे सत्ता का नियंत्रण केवल शासन तक सीमित नहीं होता, बल्कि विचारों और संस्कृति के माध्यम से भी संचालित किया जाता है।



ग्राम्शी की आलोचना

  • कुछ विचारकों ने कहा कि उनका "वर्चस्व सिद्धांत" बहुत जटिल है और इसे लागू करना कठिन है
  • मार्क्सवाद के क्लासिक विचारकों ने उनकी सांस्कृतिक व्याख्या को गैर-आर्थिक माना
  • आधुनिक समाजशास्त्रियों ने उनके विचारों को "सांस्कृतिक मार्क्सवाद" के रूप में देखा, जो पूंजीवाद के भीतर सुधारों पर केंद्रित था

निष्कर्ष

  • ग्राम्शी को आधुनिक मार्क्सवाद और सांस्कृतिक अध्ययन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदानकर्ता माना जाता है
  • उनका विचार था कि राजनीतिक क्रांति से पहले सांस्कृतिक और वैचारिक क्रांति आवश्यक है

UGC NET परीक्षा के लिए यह ग्राम्शी के महत्वपूर्ण तथ्यों की विस्तृत सूची है, जो उनके राजनीतिक विचारों के सभी प्रमुख पहलुओं को कवर करती है।

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