थॉमस हॉब्स (Thomas Hobbes)
यहां UGC NET Political Science परीक्षा के लिए थॉमस हॉब्स (Thomas Hobbes) से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य दिए गए हैं
Watch on YouTube - Thomas Hobbes
"क्या मनुष्य स्वभाव से अच्छा है या बुरा? क्या समाज को एक शक्तिशाली शासक की जरूरत होती है, ताकि अराजकता को रोका जा सके?"
नमस्कार दोस्तों!
आज हम चर्चा करेंगे थॉमस हॉब्स (Thomas Hobbes) और उनके राजनीतिक विचारों की, जिन्होंने राज्य (State), संप्रभुता (Sovereignty), और सामाजिक अनुबंध (Social Contract) जैसी अवधारणाओं को परिभाषित किया।
हॉब्स का जीवन और कार्य
- थॉमस हॉब्स का जन्म 5 अप्रैल 1588 को इंग्लैंड में हुआ और उनकी मृत्यु 4 दिसंबर 1679 को हुई।
- वे एक राजनीतिक यथार्थवादी (Political Realist) और व्यक्तिवादी (Individualist) विचारक थे।
- हॉब्स ने राजनीति, दर्शन, भौतिकी और गणित पर कार्य किया, लेकिन वे मुख्य रूप से राजनीतिक दर्शन (Political Philosophy) के लिए प्रसिद्ध हैं।
- उनकी प्रमुख रचनाएँ:
- Leviathan (1651) – राज्य और संप्रभुता की व्याख्या।
- De Cive (1642) – नागरिक समाज पर चर्चा।
- The Elements of Law (1640) – प्राकृतिक अधिकारों और समाज के गठन पर कार्य।
प्राकृतिक अवस्था (State of Nature) की अवधारणा
- हॉब्स के अनुसार, प्राकृतिक अवस्था (State of Nature) में "मनुष्य मनुष्य के लिए भेड़िया है" (Homo Homini Lupus)।
- प्राकृतिक अवस्था में कोई सरकार, कानून, न्याय या नैतिकता नहीं होती।
- यह "सभी के खिलाफ युद्ध" (War of All Against All) की स्थिति होती है
- इस अवस्था में, जीवन "एकाकी (solitary), निर्धन (poor), दयनीय (nasty), क्रूर (brutish) और अल्पकालिक (short)" होता है
सामाजिक अनुबंध (Social Contract) का सिद्धांत
- हॉब्स के अनुसार, राजनीतिक समाज एक अनुबंध (Contract) के माध्यम से निर्मित होता है
- लोग अपनी संपूर्ण स्वतंत्रता त्यागकर एक संप्रभु (Sovereign) को सत्ता सौंपते हैं।
- यह संप्रभु पूर्ण और असीमित सत्ता रखता है, ताकि समाज में शांति और व्यवस्था बनी रहे
- हॉब्स के सामाजिक अनुबंध में संप्रभु और नागरिकों के बीच कोई द्विपक्षीय समझौता नहीं होता – नागरिक अपनी शक्ति संप्रभु को सौंप देते हैं और इसके बदले में सुरक्षा प्राप्त करते हैं।
- यह अनुबंध स्थायी और अपरिवर्तनीय होता है – नागरिक इसे समाप्त नहीं कर सकते
लीवायथन (Leviathan) और संप्रभुता (Sovereignty)
- Leviathan (1651) में हॉब्स ने संप्रभु को "मृत्युलोक का देवता" (Mortal God) कहा
- संप्रभु की शक्ति अखंड (Undivided), असीमित (Unlimited) और अपरिवर्तनीय (Inalienable) होती है।
- संप्रभु का मुख्य कार्य शांति और सुरक्षा बनाए रखना है
- हॉब्स ने कहा कि "न्याय वही है जो संप्रभु तय करे", इसलिए संप्रभु कानूनों से ऊपर होता है
- संप्रभुता का स्वरूप तीन प्रकार का हो सकता है:
- राजतंत्र (Monarchy) – एक व्यक्ति का शासन।
- अभिजातंत्र (Aristocracy) – कुछ लोगों का शासन।
- लोकतंत्र (Democracy) – सभी का शासन।
- हॉब्स ने राजतंत्र को सबसे अच्छा शासन बताया क्योंकि इसमें निर्णय तेजी से लिए जा सकते हैं और अराजकता की संभावना कम होती है
न्याय (Justice) और प्राकृतिक अधिकार (Natural Rights)
- हॉब्स के अनुसार, न्याय की परिभाषा "समान व्यवहार और समान अधिकार" है
- प्राकृतिक अधिकार (Natural Rights) में स्व-रक्षा (Self-Preservation) सबसे महत्वपूर्ण है
- राज्य की स्थापना के बाद, न्याय वही होगा जो संप्रभु तय करेगा – "न्याय और अन्याय केवल राज्य के भीतर ही होते हैं, प्राकृतिक अवस्था में नहीं"
व्यक्तिवाद और निरंकुशता (Individualism and Absolutism)
- हॉब्स का दर्शन "व्यक्तिवाद (Individualism) और निरंकुशता (Absolutism) का मिश्रण" था
- उन्होंने सत्ता के केंद्रीकरण (Centralization of Power) का समर्थन किया ताकि समाज में स्थिरता बनी रहे
- हॉब्स के अनुसार, व्यक्तिगत स्वतंत्रता केवल तब तक बनी रह सकती है जब तक वह संप्रभुता के विरुद्ध न हो।
लोकतंत्र और अन्य शासन प्रणालियों पर विचार
- हॉब्स ने लोकतंत्र की आलोचना की क्योंकि इसमें जनता आसानी से भ्रमित हो सकती है और अराजकता उत्पन्न हो सकती है।
- उन्होंने मोनार्की (Monarchy) को सर्वोत्तम शासन प्रणाली माना क्योंकि इसमें स्थिरता होती है।
- उन्होंने संविधानवाद (Constitutionalism) का विरोध किया और कहा कि संप्रभुता पूर्ण होनी चाहिए।
हॉब्स की आलोचना
- जॉन लॉक (John Locke) ने हॉब्स की संप्रभुता की अवधारणा की आलोचना करते हुए सीमित सरकार (Limited Government) और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की वकालत की।
- रूसो (Rousseau) ने उनकी समाज अनुबंध की अवधारणा को लोकतांत्रिक सिद्धांत में परिवर्तित किया।
- हॉब्स की नैतिकता और प्राकृतिक अधिकारों की परिभाषा की आलोचना की गई, क्योंकि उन्होंने न्याय को संप्रभु की इच्छा पर निर्भर बताया।
- लोकतंत्र समर्थकों ने उनकी विचारधारा को निरंकुशवाद (Absolutism) की ओर झुकाव रखने वाला बताया।
आधुनिक राजनीति में हॉब्स के विचारों की प्रासंगिकता
- हॉब्स का दर्शन "राष्ट्रीय संप्रभुता" (National Sovereignty) और "कानून का शासन" (Rule of Law) का आधार बना।
- आज भी, आधुनिक सरकारें कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए शक्तिशाली संस्थानों पर निर्भर करती हैं।
- "सामाजिक अनुबंध" की अवधारणा आज के लोकतंत्रों में देखी जा सकती है।
निष्कर्ष
- हॉब्स को आधुनिक राजनीतिक दर्शन (Modern Political Philosophy) का संस्थापक माना जाता है।
- उन्होंने राज्य और संप्रभुता के बीच संबंधों की व्याख्या की और सामाजिक अनुबंध का सिद्धांत दिया।
- उनका विचार था कि व्यवस्था (Order) और सुरक्षा (Security) के लिए पूर्ण संप्रभुता आवश्यक है।
- उनके विचारों ने अधिनायकवादी (Totalitarian) और उदारवादी (Liberal) दोनों राजनीतिक सिद्धांतों को प्रभावित किया।
- हॉब्स के सिद्धांतों ने आधुनिक राष्ट्र-राज्य (Modern Nation-State) और यथार्थवादी (Realist) अंतर्राष्ट्रीय संबंधों की नींव रखी।
UGC NET परीक्षा के लिए यह हॉब्स के महत्वपूर्ण तथ्यों की विस्तृत सूची है, जो उनके राजनीतिक विचारों के सभी प्रमुख पहलुओं को कवर करती है। ✅
Comments
Post a Comment