सामाजिक समझौते का सिद्धांत क्या है? | Hobbes, Locke और Rousseau की व्याख्या | आसान भाषा में समझें

"नमस्कार दोस्तों! क्या आपने कभी सोचा है कि सरकारें हमें क्यों नियंत्रित करती हैं? या फिर हम नियम-कानून मानने के लिए क्यों बाध्य होते हैं? दरअसल, यह सब जुड़ा है ‘सामाजिक समझौते’ यानी Social Contract Theory से। आज के वीडियो में हम इसे बहुत सरल भाषा में समझेंगे और साथ ही जानेंगे कि Hobbes, Locke और Rousseau जैसे दार्शनिकों ने इस पर क्या कहा था। तो चलिए, बिना समय गंवाए, शुरू करते हैं!"

                                       सामाजिक समझौते का सिद्धांत क्या है?

सामाजिक समझौता सिद्धांत क्या है?

"अगर बहुत ही आसान भाषा में कहें, तो सामाजिक समझौता एक अनुबंध (Contract) है, जो सरकार और जनता के बीच होता है। इसके अनुसार, लोग अपनी कुछ स्वतंत्रताएँ छोड़कर एक संगठित समाज में रहने के लिए सरकार को सत्ता सौंपते हैं। बदले में सरकार उनकी सुरक्षा और अधिकारों की रक्षा करती है।"

("मान लीजिए कि अगर ट्रैफिक नियम न हों, तो सड़कें कैसे चलेंगी? हर कोई अपनी मर्जी से गाड़ी चलाएगा! इसी तरह, अगर सरकार न हो, तो समाज में अराजकता फैल जाएगी।")

"तो सरकार के साथ हमारा यह 'समझौता' हमें सुरक्षा और स्थिरता देता है। 

प्रमुख विचारक और उनके विचार

हॉब्स का सामाजिक समझौता सिद्धांत 

थॉमस हॉब्स (1588-1679) एक प्रसिद्ध अंग्रेज़ी दार्शनिक थे, जिन्होंने अपनी पुस्तक 'Leviathan' (1651) में सामाजिक समझौते का विस्तार से वर्णन किया। हॉब्स का मानना था कि मनुष्य प्राकृतिक अवस्था (State of Nature) में स्वाभाविक रूप से स्वार्थी, हिंसक और अराजक होता है। इसलिए, एक मजबूत सरकार की आवश्यकता होती है, जो समाज में शांति और व्यवस्था बनाए रखे।

हॉब्स के अनुसार, जब कोई सरकार या कानून नहीं होता, तब मनुष्य एक प्राकृतिक अवस्था (State of Nature) में होता है। इस अवस्था की विशेषताएँ:

  1. 'हर कोई का, हर किसी के खिलाफ युद्ध' (War of All Against All) – बिना किसी शासन के, लोग अपने स्वार्थ के लिए एक-दूसरे से लड़ते हैं।
  2. मनुष्य का जीवन "निर्दयी, क्रूर और संक्षिप्त" (Nasty, Brutish, and Short) होता है।
  3. कोई नैतिकता या कानून नहीं होता, केवल शक्ति का शासन चलता है।

(उदाहरण: अगर किसी देश में कोई सरकार न हो, तो वहाँ अराजकता फैल जाएगी, लोग एक-दूसरे के अधिकारों का उल्लंघन करने लगेंगे। हॉब्स इसी स्थिति को प्राकृतिक अवस्था कहते हैं

चूँकि प्राकृतिक अवस्था में लोग असुरक्षित महसूस करते हैं, इसलिए वे अपनी कुछ स्वतंत्रताएँ छोड़कर एक शक्तिशाली शासक (Sovereign) की स्थापना करते हैं, जो कानून और व्यवस्था बनाए रखे।

सामाजिक समझौते की शर्तें:

  1. जनता अपनी सभी स्वतंत्रताएँ शासक को सौंप देती है।
  2. शासक को पूर्ण शक्ति (Absolute Power) दी जाती है।
  3. शासक के आदेश अंतिम होते हैं और जनता को उनका पालन करना होता है।

(उदाहरण: जैसे हम एक स्कूल में प्रिंसिपल की आज्ञा मानते हैं ताकि स्कूल में अनुशासन बना रहे, वैसे ही हॉब्स की सोच के अनुसार, राजा या सरकार को पूरी शक्ति दी जानी चाहिए)

हॉब्स ने कहा कि एक मजबूत और निरंकुश सरकार (Absolute Monarchy) ही शांति और सुरक्षा सुनिश्चित कर सकती है। उन्होंने इसे 'Leviathan' नाम दिया, जो एक शक्तिशाली समुद्री दैत्य का प्रतीक है।

मुख्य विशेषताएँ:

  • नागरिकों के पास सरकार के खिलाफ विद्रोह करने का अधिकार नहीं होता।
  • राजा या शासक ही सर्वोच्च होता है, और उसके निर्णय अंतिम होते हैं।
  • अगर सरकार अत्याचारी भी हो, तब भी उसे बनाए रखना ज़रूरी है, क्योंकि अराजकता से अच्छा एक कठोर शासन है।

  • हॉब्स का सामाजिक समझौता आधुनिक राजनीतिक चिंतन की नींव रखता है। यह आधिकारिक सत्ता और कानून की जरूरत को समझाने वाला पहला व्यवस्थित सिद्धांत है। यह अधिनायकवादी (Authoritarian) सरकारों का समर्थन करता है, जहाँ सत्ता केंद्रित होती है। हॉब्स का सामाजिक समझौता आधुनिक राष्ट्र-राज्य (Modern State) की अवधारणा को जन्म देने में मदद करता है।
  • हालाँकि हॉब्स का सिद्धांत सरकार की अनिवार्यता को स्पष्ट करता है, लेकिन कुछ विचारकों ने इसकी आलोचना भी की:

    1. लोकतंत्र का विरोध: हॉब्स का मॉडल निरंकुश सरकार को बढ़ावा देता है, जबकि बाद में विचारकों जैसे जॉन लॉक और रूसो ने लोकतंत्र की वकालत की।
    2. अधिकारों का हनन: हॉब्स के अनुसार, नागरिकों को सरकार के आदेश मानने ही होंगे, भले ही वह अन्यायपूर्ण हो, जबकि आधुनिक लोकतंत्रों में जनता को अधिकार दिए जाते हैं।
    3. मनुष्य का नकारात्मक दृष्टिकोण: हॉब्स ने मनुष्य को पूरी तरह स्वार्थी बताया, जबकि अन्य विचारकों का मानना था कि मनुष्य सहयोग और नैतिकता भी रखता है।

    लॉक का सामाजिक समझौता सिद्धांत

    जॉन लॉक (1632-1704) एक प्रसिद्ध अंग्रेज़ी दार्शनिक और 'लिबरलिज़्म (उदारवाद)' के जनक माने जाते हैं। उन्होंने अपनी पुस्तक 'Two Treatises of Government' (1690) में सामाजिक समझौते का सिद्धांत प्रस्तुत किया।

    🔹 मुख्य विचार:

    • जॉन लॉक का मानना था कि व्यक्ति के पास कुछ "प्राकृतिक अधिकार" (Natural Rights) होते हैं –  जिसमें जीवन (Life), स्वतंत्रता (Liberty) और संपत्ति (Property) का अधिकार प्रमुख है।
    • उनका मानना था कि सरकार की शक्ति सीमित होनी चाहिए और उसे जनता की सहमति से चलाया जाना चाहिए।
    • उन्होने लोकतंत्र और संवैधानिक सरकार का समर्थन किया।

    हॉब्स की तरह, लॉक भी मानते थे कि मनुष्य कभी प्राकृतिक अवस्था में था, लेकिन उनका विचार हॉब्स से भिन्न था।

    लॉक के अनुसार प्राकृतिक अवस्था की विशेषताएँ:

    1. जॉन लॉक का मानना था कि प्राकृतिक अवस्था में मनुष्य स्वाभाविक रूप से अच्छा और तर्कसंगत (Rational) होता है।
    2. प्राकृतिक अवस्था में हर व्यक्ति को जीवन, स्वतंत्रता और संपत्ति का अधिकार होता है।
    3. प्राकृतिक अवस्था में कोई संगठित सरकार नहीं होती, लेकिन प्राकृतिक कानून (Natural Law) होता है, जो नैतिकता और न्याय पर आधारित होता है।

    हॉब्स ने कहा कि प्राकृतिक अवस्था में "अराजकता और युद्ध" होता है, जबकि लॉक ने इसे स्वतंत्रता और सहयोग की स्थिति बताया।

    जॉन लॉक का मानना था कि प्राकृतिक अवस्था में कुछ समस्याएँ होती हैं –

    ✔ कोई निष्पक्ष न्यायाधीश (Impartial Judge) नहीं होता।
    ✔ कमजोर लोग शक्तिशाली लोगों से शोषित हो सकते हैं।
    ✔ व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा के लिए कोई सुनिश्चित तंत्र नहीं होता।

    🔹 इसलिए, लोग एक समझौते के तहत सरकार की स्थापना करते हैं, लेकिन कुछ शर्तों के साथ:

    1. सरकार का कार्य लोगों के प्राकृतिक अधिकारों की रक्षा करना है।
    2. सरकार को सीमित शक्तियाँ मिलती हैं (Limited Government)
    3. अगर सरकार निरंकुश हो जाए, तो जनता को उसे बदलने का अधिकार होता है।

    📌 लॉक का सामाजिक समझौता लोकतंत्र की नींव रखता है। यह विचार अमेरिकी और फ्रांसीसी क्रांतियों का आधार बना।

    लॉक ने संवैधानिक सरकार (Constitutional Government) का समर्थन किया, जहाँ नागरिकों की सहमति से सरकार चलती है।

    जॉन लॉक का विचार क्रांतिकारी था क्योंकि उनका मानना था कि यदि सरकार अन्याय करे, तो जनता को उसे हटाने का अधिकार है।

    🔹 लॉक ने कहा:
    "जहाँ कानून समाप्त होता है, वहाँ अत्याचार (Tyranny) शुरू होता है।"

    अगर कोई सरकार तानाशाही (Dictatorship) में बदल जाए, तो जनता को क्रांति करने और नई सरकार बनाने का अधिकार होता है।
    ✔ यह विचार अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम (1776) और फ्रांसीसी क्रांति (1789) का आधार बना।

    रूसो का सामाजिक समझौता सिद्धांत 

    जीन जैक्स रूसो (1712-1778) एक प्रसिद्ध फ्रांसीसी दार्शनिक थे, जिन्होंने लोकतंत्र, समानता और जनता की संप्रभुता (Popular Sovereignty) के विचार को मजबूत किया।

    उन्होंने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक "The Social Contract" (1762) में सामाजिक समझौते का सिद्धांत प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंने कहा –

    "Man is born free, and everywhere he is in chains."
    ("मनुष्य स्वतंत्र पैदा होता है, लेकिन हर जगह वह जंजीरों में जकड़ा हुआ है।")

    रूसो के अनुसार, प्राकृतिक अवस्था में मनुष्य स्वतंत्र, खुशहाल और नैतिक (Moral) होता है।

    प्राकृतिक अवस्था की विशेषताएँ:

    1. मनुष्य मूल रूप से अच्छा होता है (Man is naturally good)।
    2. कोई निजी संपत्ति (Private Property) नहीं होती, इसलिए असमानता नहीं होती।
    3. जैसे-जैसे समाज विकसित हुआ, संपत्ति का निर्माण हुआ और असमानता बढ़ी।

    📌 रूसो के अनुसार:

    • संपत्ति (Property) के कारण समाज में असमानता आई।
    • शक्तिशाली लोगों ने कमजोरों को दबाने के लिए "सरकार" बनाई।
    • इस व्यवस्था में केवल अमीरों को फायदा हुआ और गरीब शोषित हुए।

    रूसो के अनुसार, समाज को प्राकृतिक अवस्था के समान स्वतंत्रता और समानता प्राप्त करने के लिए एक नया सामाजिक समझौता करना चाहिए।

    🔹 सामाजिक समझौते की शर्तें:

    1. व्यक्ति अपनी व्यक्तिगत इच्छा को "सामूहिक इच्छा" (General Will) के अधीन कर देता है।
    2. सरकार का उद्देश्य जनता के लिए काम करना होता है, न कि कुछ विशेष वर्गों के लिए।
    3. लोकतंत्र के माध्यम से जनता को निर्णय लेने का अधिकार मिलना चाहिए।

    रूसो के अनुसार, सरकार को जनता की सामूहिक इच्छा के अनुसार काम करना चाहिए।

    सरकार की विशेषताएँ:

    1️⃣ लोकतंत्र (Democracy) – सरकार जनता द्वारा चुनी जानी चाहिए।
    2️⃣ प्रत्यक्ष लोकतंत्र (Direct Democracy) – जनता को सीधे कानून बनाने का अधिकार होना चाहिए।
    3️⃣ स्वतंत्रता और समानता (Liberty and Equality) – सभी नागरिकों को समान अधिकार मिलने चाहिए।
    4️⃣ जनता ही सर्वोच्च सत्ता (Popular Sovereignty) – कोई राजा या निरंकुश शासक नहीं होना चाहिए।

    📌 रूसो के विचार आधुनिक गणतंत्रों (Republics) का आधार बने, जैसे फ्रांस, अमेरिका और भारत।


    (रूसो का मानना था कि सरकार का लक्ष्य जनता की भलाई होना चाहिए, न कि कुछ विशेष वर्गों का हित।

    ✔ अगर सरकार जनता की इच्छा के विरुद्ध कार्य करे, तो उसे बदला जा सकता है।
    निजी संपत्ति असमानता का कारण है, इसलिए राज्य को संपत्ति पर नियंत्रण रखना चाहिए।

    📌 रूसो के विचारों ने फ्रांसीसी क्रांति (1789) को प्रेरित किया, जिसमें "समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व" (Liberty, Equality, Fraternity) का नारा दिया गया 

    "अब सवाल उठता है कि कौन सा विचार सबसे सही है?"

    • अगर हम व्यवस्था चाहते हैं, तो हॉब्स सही लगते हैं।
    • अगर हम स्वतंत्रता चाहते हैं, तो लॉक के विचार अच्छे हैं।
    • अगर हम लोकतंत्र चाहते हैं, तो रूसो का मॉडल आदर्श है।

    "आज की दुनिया में, लोकतांत्रिक देश Locke और Rousseau के विचारों को ज्यादा मानते हैं। लेकिन जहाँ कानून-व्यवस्था की जरूरत होती है, वहाँ हॉब्स के विचारों की भी अहमियत होती है।"

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